याहू का ठीकरा और के सर
हाल ही में याहू के भाषाई पोर्टल पर मलयालम मसौदे के चुराने के आरोप याहू पर लगाये गये, काफी हलचल रही है। ऐसे मामलों मे काफी राजनीति भी शामिल रहती है। मैं यह वृत्तांत पढ़ता रहा हूँ पर हाल की याहूधुरविरोधी की प्रविष्टि पढ़कर मुझे बुरा लगा कि इसके बहाने याहू को कंटेंट प्रदान करने वाली कंपनी वेबदुनिया के सीईओ विनय छजलानी पर व्यक्तिगत आक्षेप किया गया और उनके अन्य उत्पादों पर बेवजह और बिना किसी प्रमाण के आरोप जड़े गये। मैं वेबदुनिया में काम कर चुका हूँ और मुझे ये कहने में संकोच नहीं कि मैं आज हिन्दी में ब्लॉगिंग उनके संस्थान के प्रभाव के कारण ही कर रहा हूँ।
धुरविरोधी महाशय, आपका विनय छजलानी पर किया व्यक्तिगत आक्षेप बेहद आपत्तिजनक है। खास तौर पर जब आप नेपथ्य की घटनाओं से ज़रा भी वाकिफ़ नहीं दिखते। जानकारी के लिये बता दूं कि न केवल वेबदुनिया ने याहू का बचाव करते हुये पूरी जिम्मेवारी अपने सर ली है बल्कि इस संस्थान ने बिना शर्त मूल लेखक से क्षमायाचना की, सामग्री वेबसाईट से हटा दी और सामग्री के प्रयोग के एवज में मानदेय देने की भी पेशकश की। अपने किसी कर्मचारी द्वारा अनजाने की गई गलती के एवज में एक कंपनी जो कर सकती है वेबदुनिया ने वो किया है (और जो याहू तक को करने में शर्म आ रही है)।
मैं वेबदुनिया की ओर से प्रेषित कि गई वेबलोकम के संपादक की टिप्पणी का मसौदा जस का तस प्रकाशित कर रहा हूँ। मुझे आश्चर्य है कि फ्री स्पीच के पक्षधर ब्लॉगरों से यह भी न हो सका कि वेबदुनिया का पक्ष सामने रखें, मुझे बताया गया है कि यह टिप्पणी सूर्यगायत्री ने अपने चिट्ठे से हटा दी है।
Dear All Blogger friends,
I introduce myself as Sasimohan, Chief Editor of Weblokam : a malaylam internet Portal. The Portal is run by Webdunia.com (India) Pvt. Limited: a company incorporated in India which runs, other web portals as well, namely http://www.webdunia.com in Hindi, http://www.webulagam.com in Tamil and www.webprapancham.com in Tamil. All these portals are in operations since 2000. Recently, we have also started providing content for their Indian languages related websites. This assignment was taken up by us with the objective to promote use, and enhance availability, of content in Indian languages on the Internet. Consequently, we engaged certain content providers, editors to create and compile content for this assignmment.
With a spirit to give quality content to the web-surfers, one of our sub-editors has erroroneously picked some content on specific recipes, which was compiled by Mrs.Sugaythri. This was done rather innocently and inadvertently, as the sub-editor wished that the readers could benefit from the special preparations that were web-published as he himself liked that material to his judgement. It is indeed an error on our part as the sub-editor should have taken prior permission from the original contributor before web-publishing such descriptions. Webdunia makes an unconditional apology for this lapse.
I wish to let the bloggers know that no sooner we came to know of such oversight, we removed the specific material form the server and made an attempt to contact the contributor to seek her consent and to correct our mistake. In terms of our assignment, it is our sole moral and legal responsibility to compile correct content for Yahoo India who is not involved in sourcing of the specific content. We also did not have any intent to unauthroizedly use any content belonging to any person without his or her consent.
We do understand that due to the above inadvertence the feelings and esteem of the contributor and the members of the blog community have been hurt. We apologize for this regrettable act. We infact have communicated to the lady contributor that we are willing to compensate her for the use of her material and pay for the inadvertent act on our part. We reassure the members of this blogging community that we do value the contributions of the individual writers and in future the copyrighted material shall not used without proper authority. In last seven years, we never had any case where we were found to be guilty of using any copyrighted material on our website.
The above message is posted by me for understanding of the members of this blogging community. As a dignified Keralite, I am also with the members for protecting rights of the individuals.
Sasimohan.
वेबदुनिया को गाली देने के उन्माद में धुरविरोधी बोलते हैं
जो कीबोर्ड लेआउट आजकल बरहा में उपयोग हो रहा है और पहले वेबदुनिया में उपयोग होता है वह विनय छजलानी जी का डिजायन किया हुआ नहीं है. जब विनय जी सुवि इन्फ़ार्मेशन सिस्टम चलाया करते थे, यह उससे भी पुराना है।
ये पंक्तियाँ अब उनके ब्लॉग से हटा दी गई हैं। शायद मेरी ये टिप्पणी भी वो हटा लें, यहाँ लिख रहा हूं ताकि सनद रहेः
हास्यास्पद बात कर रहे हैं आप! रेमिंग्टन जैसे कीबोर्ड लेआउट प्रोपायटरी नहीं हैं और इन पर मुझे नहीं लगता कि इसके निर्माता के अलावा किसी और का दावा होगा। वेबदुनिया ने भी ऐसा दावा कभी नहीं किया। वेबदुनिया ने माईक्रोसॉफ्ट को इंडिक आईएमई तंत्राँश तैयार कर के दिया था, जिसमें छ-सात कीबोर्ड लेआउट प्रयोग करने के विकल्प हैं जो भाषाइंडिया पर अब मुफ्त उपलब्ध है।
पुनश्चः मैं वेबदुनिया से अब संबद्ध नहीं हूँ। यह प्रविष्टि लिखने के लिये न वेबदुनिया ने मुझे कहा और न मुझे पैसे दिये हैं।
अपडेटः इस मामले पर इंडियन एक्सप्रेस की रपट यहाँ पढ़ सकते हैं।
आपका बात को साफ करना अच्छा लगा। ये भी चिट्ठाकारी का एक मजबूत पक्ष है कि सबको अपनी बात कहने का मौका मिलता है। मेरी समझ से दोषी पक्षों द्वारा क्षमा याचना के पश्चात इस बात को निपटा देना उचित रहेगा।
देबू दा, बहुत सही किया जो मय सबूत बता दिया कौन सही है कौन गलत। अक्सर विरोध करने वाले तेश में बहुत कुछ बोल जाते हैं, वैसे हम भी कोई अलग नही हैं 😉
सतही जानकारी से परे, वास्तविकता को प्रस्तुत करने का स्तुत्य प्रयास. याहू के हिन्दी सामग्री की चोरी की भी बातें की गई थीं, जबकि वहां नारद की ही फ़ीड थी, और बाकायदा मूल लेखकों के लेखों के लिंक सहित, जो कि चोरी तो कतई नहीं थी. किसी कम्पनी के लिए उसका कोई कर्मचारी ऐसी नादानी कर बैठता है तो इसमें कंपनी की मंशा तो कतई नहीं होती – जैसा कि कहा गया था.
आपकी ईमानदारी और ‘सेंस ऑफ़ अकाउंटेबिलिटी’ का मैं मुरीद रहा हूं. इसकी बेहद ज़रूरत है आम जीवन में भी और ब्लॉगिंग में भी .
प्रिय देबाशीष,
आपका यह चिट्ठा पढ़कर आत्मीय सुकून मिला. वरना बगैर तथ्य जाने केवल विरोध के लिए विरोध करने वालों ने परेशान कर रखा था. ये समस्त ब्लॉगर समुदाय के साथ ही खिलवाड था. अच्छा लगा जो आपने तथ्यात्मक बातें सामने रखीं. मैंने भी कल धुरविरोधी जी तक अपना मंतव्य पहुँचाया था. उन्होंने उसे प्रकाशित करके बड़ी ही बेशर्मी के साथ तुरंत हटा लिया.
बहुत अच्छा लगा यह पढ़कर!
विनय जी और अभय जी द्वारा अंतर्जाल पर हिन्दी के विकास की दिशा में किए गए प्रयासों को गिनना मेरे जैसों के लिए मुमकिन नहीं है. नई दुनिया प्रकाशन और वेबदुनिया ने जो कुछ इस क्षेत्र में किया है वो आज से सात-आठ साल पहले तक कोई सोच भी नहीं सकता था. धुरविरोधी जी से गुज़ारिश है कि आलोचना के दौरान व्यक्तिगत आक्षेप से बचें. मेरा विनम्र निवेदन यही है धुरविरोधी जी.
मैं तो शुरु से ही कहता रहा हूँ और बार बार कहता हूँ कि व्यक्तिगत आक्षेप से हमेशा बचा जाए, ऐसा करना अत्यंत निंदनीय है। वेबदुनिया आदि साइटें बहुत पहले से हिन्दी की सेवा कर रही हैं और इस सपष्टीकरण के बाद तो अब उनका पक्ष भी सपष्ट हो गया है। अब यह मामला खत्म होना चाहिए। हाँ वे भी ध्यान रखें कि ऐसा दोबारा न हो।
देबाशीष भाई, मेरे ख्याल में अब इसे समाप्त माना जाय। वेबदुनिया ने बड़प्पन दिखाया है और इसे मानते हुए लोग और कीजड़बाजी से बचें तो अच्छा लगेगा। सही शीशे से इसे प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद।